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वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे” पर एम्स के डॉक्टर ने बच्चों को किया जागरूक

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ऋषिकेश : ”वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे” के अवसर पर एम्स, ऋषिकेश के कम्युनिटी एवं फैमिली मेडिसिन विभाग के अपर-आचार्य और सोशल आउटरिच सेल के नोडल अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने रेड फोर्ट इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, टिहरी विस्थापित क्षेत्र, पशुलोक में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के तहत डॉ. कुमार ने बच्चों को “युवा जोश” यूथ वेलनेस प्रोग्राम के अंतर्गत आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जानकारी दी।

डॉ. कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि ”वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे” का मुख्य उद्देश्य आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे पर जनमानस में जागरूकता बढ़ाना है, ताकि आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को रोका जा सके। उन्होंने स्कूली छात्रों को सलाह दी कि वे स्वयं से प्रश्न पूछने की आदत डालें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आत्म-विश्वास और निरंतर प्रयास रखें।

इस दौरान छात्रों ने डॉ. कुमार से विभिन्न प्रश्न पूछे, जिनका उन्होंने सकारात्मक और प्रेरणादायक उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि प्रश्न पूछना मन और बुद्धि की सक्रियता को दर्शाता है। इसके अलावा, डॉ. कुमार ने विद्यार्थियों को बताया कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें सकारात्मक रहना चाहिए और अगर किसी चीज से परेशान हैं, तो किसी विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।

ज्ञान योग आश्रम, ऋषिकेश में भी ”वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे” के मौके पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में डॉ. संतोष कुमार ने वैलनेस के महत्व पर प्रकाश डाला और समाज में आत्महत्या की प्रवृत्ति के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए समय-समय पर वैलनेस कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता बताई।

*बच्चों द्वारा पूछे गए प्रमुख प्रश्न और उत्तर:*

1. *पढ़ाई के समय टालमटोल करने से कैसे बचें और किस समय पर पढ़ाई करना सही होता है?*

पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेना आवश्यक है ताकि आपका मन ताजगी बनाए रखे। साथ ही, एक अच्छी नींद लेना भी जरूरी है; कम से कम 6 घंटे की नींद स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

2. *परीक्षा में मार्क्स कैसे ज्यादा लाएं और पढ़ाई के लिए डेली रूटीन कैसे बनाएं?*

मार्क्स से ज्यादा महत्वपूर्ण है ज्ञान। कम मार्क्स के कारण डिप्रेशन और आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बैलेंस करके चलना चाहिए।

मुद्दा टीवी।

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