मणिपुर सरकार ने राज्य में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अस्थायी बैन लगा दिया है। यह निर्णय हाल ही में राज्य में बढ़ते तनाव और हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर लिया गया है।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, “सोशल मीडिया का दुरुपयोग और अफवाहों का फैलाव हिंसा को भड़काने का कारण बन रहा है। ऐसे में सरकार ने यह कदम उठाया है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके और शांति बनी रहे।”
मणिपुर में फेसबुक, ट्विटर और अन्य प्रमुख सोशल मीडिया साइट्स पर यह बैन अगले कुछ दिनों के लिए लागू रहेगा। राज्य में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है।
इस फैसले के बारे में विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। कुछ का कहना है कि यह बैन आवश्यक है, जबकि अन्य इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश मानते हैं।
बैन के पीछे के कारण
1.हिंसा और तनाव: हाल के महीनों में मणिपुर में जातीय संघर्ष और स्थानीय हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है। विभिन्न जातीय समूहों और समुदायों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है, जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा को खतरा हो रहा है।
2.अफवाहों का प्रसार: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही अफवाहें और भ्रामक जानकारियाँ हिंसा को और भड़काने का काम कर रही हैं। इन अफवाहों के कारण समाज में भ्रम और असंतोष बढ़ रहा है, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।
3. सुरक्षा बलों की समस्याएँ: सुरक्षाबलों को स्थिति को नियंत्रण में लाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर फैली गलत सूचनाएँ और भ्रामक रिपोर्ट्स उनकी कार्यवाही को प्रभावित कर रही हैं।
मणिपुर में सोशल मीडिया पर लगे बैन का उद्देश्य स्पष्ट है – समाज में शांति और कानून व्यवस्था को बनाए रखना। हालांकि, इस कदम से जुड़ी प्रतिक्रियाएँ मिश्रित हैं और इस पर आगे की घटनाओं की प्रतीक्षा की जा रही है। सरकार की उम्मीद है कि इस बैन से स्थिति में सुधार होगा और राज्य में शांति लौटेगी।
तुलसी त्यागी। मुद्दा टीवी