देहरादुन।उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील के बैनोल गांव का रहने वाला एक नौजवान युवक आयुष देहरादून के दून अस्पताल में भर्ती है उसका जो शरीर है वह बुरी तरीके से जख्मी है उसके भाई ने बताया कि उसके पीछे का हिस्सा पूरी तरीके से जलाया गया है साथ ही एक हाथ जलाया गया है ।उसका कसूर बस इतना था कि उसने इस देवभूमि में एक मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन कर लिए थे और भगवान के दर्शन करने की सजा उसको इस रूप में मिली कि उसको शाम 4 बजे से दुसरे दिन सुबह 5:00 बजे तक बंधक बनाकर बुरी तरीके से 5 लड़कों ने मारा उसके बाद जलती हुई लकड़ियों से उसके शरीर को जलाया गया उसका शरीर इस कदर जल चुका है कि एक हिस्सा पूरी तरीके से झुलस गया है
।यह घटना है सालरा गांव के मंदिर की इस मंदिर में दर्शन करने के लिए बैनौल गांव का आयुष अनजाने में आ गया था उसे नहीं पता था कि यहां के लोग मुझे भगवान के दर्शन करने की इतनी बड़ी सजा देंगे इससे भी दुखद खबर यह है कि जिस समय यह दरिंदगी हो रही थी उस समय आयुष के पिता लाचार होकर यह सब कुछ देख रहे थे उनको यह कहा गया कि अगर आप बीच में आए तो आपको जान से हाथ धोना पड़ेगा।
इस घटना ने एक बार फिर से देवभूमि को शर्मसार कर दिया है आज भी देवभूमि में इस तरीके की मानसिकता के कुछ गिने चुने लोग ऐसे हैं जो आज भी रूढ़िवादी विचारधाराओं में जी रहे हैं हालांकि उनका रहन-सहन तो ऊंचा हो गया है लेकिन उनकी सोच बहुत ही निम्न स्तर की है यह पूरा मामला एक निम्न स्तर की सोच का ही परिणाम है । इस तरह की मानसिकता के लोग ये नही जानते कि जात-पात ऊंच-नीच यह अब बीती हुई बातें हो चुकी हैं आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और 21वीं सदी में किसी को जाति के आधार पर टोकना एक बहुत बड़ा अपराध है। ये लोग वास्तव में आज समाज को फिर उसी ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं जहा से निकलने मे भारत देश को कई साल लग गए तब जाकर एक नया भारत बना,
इस तरीके की मानसिकता वाले लोग यह नहीं जानते कि आज जिस कानून के हिसाब से यह देश चल रहा है उस कानून को लिखने वाले भी एक अनुसूचित जाति के ही महान विद्वान थे जिनका नाम भीमराव अंबेडकर था। और जिस पवित्र ग्रंथ रामायण को आज पूरा विश्व मानता है उसके रचयिता बाल्मिकी भी एक दलित थे।
देवेन्द्र प्रसाद,एडिटर इन चीफ, मुद्दा टीवी ख़बर